Jai Hind

Desh hamari zindagi, Desh hamari jaan hai,
Desh pe jina, Desh pe marna, Sau janmo ke saman hai...

Friday, October 19, 2012


भारत माँ को बचाओ
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भारत के उपवन से नित दिन, खो रही है हरियाली,
चीख रही हरेक प्रसून की सूख रही स्वर्णिम डाली |
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मुट्ठी भर घुसपैठ यहाँ पर छीन रहे हर खुशहाली,
भारत भू के लहू सुधा में घोल रहे विश की प्याली ||

देशप्रेमियों की कीमत आज कौड़ी के भाव पड़ी है,
भारत रत्न की चमक कहीं कोने में सूबक रही है|
अरबों के घोटाले करके दानव 'राजा' नाच रहे हैं,
देश के रणवीरों के पीछे दानव-सेना पड़ी है ||

फिर भी दो आँखों के अंधे नही देखते माँ के आँसू ,
सत्ता मद में पागल दानव बने हमारे रक्त पीपसु|
लालच स्वार्थ से साने हुए पिशाच सत्ता पर बैठे हैं ,
छली जा रही जनता रोए सूख चुके सबके आँसू ||

चाट फिरंगी के तलवे सत्ता जिसने हथियाया ,
उसके वंशज ने भारत को साठ साल छकाया |
अब तो जागो चाटुकरो कब तक इनको सेवोगे ,
देश की गद्दारी करके , बोलो अब तक क्या पाया ||

हर नर मे नटराज जगाओ , चंडी हो हर नारी ,
भस्म करो हर भस्मासुर को , कर तांडव जटाधारी |
तीर त्रिशूल तलवार कटारी, उठा लो दुर्गा काली ,
दानव झुंड का मुण्ड उड़ा दो , पड़ी विपद है भारी ||

फिर से आओ हे सुभाष, आज़ाद हिंद फिर लाओ,
हे आज़ाद! अब गोली से , नव इतिहास रचाओ |
फिर से गरज़ो हर जवान में, हर बच्चे हर बूढ़े में ,
हे भगत ! फिर से अवतारो , भारत माँ को बचाओ ||||

जय हिंद , जय भारत ||
उज्ज्वल कुमार ......

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