हुंकार सुनोगे वीरों की
जो प्राण दान कर गये देश पर,
दहाड़ सुनोगे उन सिंहों की
अमर हो गये हैं जो मर कर ||
अनूभव होगी अमर संस्कृति
और सभ्यता का कलरव,
पुकार सुनोगे धरती माँ की
जगा रही हमको रो रोकर|
...
जो प्राण दान कर गये देश पर,
दहाड़ सुनोगे उन सिंहों की
अमर हो गये हैं जो मर कर ||
अनूभव होगी अमर संस्कृति
और सभ्यता का कलरव,
पुकार सुनोगे धरती माँ की
जगा रही हमको रो रोकर|
...
बलिदानी प्राणों की आभा
अपने प्राण जगाकर देखो,
एक बार इस धरती के
सीने में कान लगा कर देखो||
नव चेतना फुट पड़ेगी
निल्यलिन्द के रक्त प्रवाह में
चमकेगी स्वर्णिम चिंगारी
हरेक प्राण के श्वास में|
बलिदानी पावन रकतों से
गरम तिलक लगा कर देखो,
एक बार इस मिट्टी को तुम
अपने भाल पर माल कर देखो ||
धधक उठेगा हृदयानल
देशप्रेम के ज्वाल से,
मिट जाए हर द्वेष-क्लेश
और भेदभाव हर ख्याल से|
एक हो जब भारत उठे
दुश्मन डरे भूचाल से,
व्यर्थ हो सारे शस्त्र शत्रु के
देशप्रेम की ढाल से|
धर्म जाति का काला चश्मा
अपने मन से हटाकर देखो,
एक बार तुम भारत भू को
दिल से माँ बुलाकर देखो|||
उज्ज्वल कुमार ....
जय हिंद, जय भारत ||
अपने प्राण जगाकर देखो,
एक बार इस धरती के
सीने में कान लगा कर देखो||
नव चेतना फुट पड़ेगी
निल्यलिन्द के रक्त प्रवाह में
चमकेगी स्वर्णिम चिंगारी
हरेक प्राण के श्वास में|
बलिदानी पावन रकतों से
गरम तिलक लगा कर देखो,
एक बार इस मिट्टी को तुम
अपने भाल पर माल कर देखो ||
धधक उठेगा हृदयानल
देशप्रेम के ज्वाल से,
मिट जाए हर द्वेष-क्लेश
और भेदभाव हर ख्याल से|
एक हो जब भारत उठे
दुश्मन डरे भूचाल से,
व्यर्थ हो सारे शस्त्र शत्रु के
देशप्रेम की ढाल से|
धर्म जाति का काला चश्मा
अपने मन से हटाकर देखो,
एक बार तुम भारत भू को
दिल से माँ बुलाकर देखो|||
उज्ज्वल कुमार ....
जय हिंद, जय भारत ||
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